Sunday, November 10, 2013

आज फिर जीने की तमन्ना हैं !


कल के अंधेरों से निकल के, देखा हैं आँखे मलते मलते
फूल ही फूल जिन्दगी बहार हैं,
तय कर लिया
आज फिर जीने की तमन्ना हैं

काँटों से खिंच के ये आँचल, तोड़ के बंधन बांधी पायल
कोई ना रोको दिल की उड़ान को,
दिल वो चला
आज फिर ...

डर हैं सफ़र में कही खो ना जाऊ मैं,
रास्ता नया

आज फिर जीने की तमन्ना हैं

शैलेंद्र


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